पुनर्जन्म
Hindi

बारिश के बाद पत्तियाँ कैसे खिल उठती हैं, उनका रंग कैसे निखर कर सामने आता है। जो कालिख पुती थी, शहर की सजो-ओ-हवा में, साफ़ हो गई है — और आज पेड़ खुल कर साँस लेगा।

“कभी-कभी हमें भी एक बारिश की ज़रूरत होती है — जो शब्द नहीं कहती, बस मन की धूल धो देती है। और फिर भीतर कहीं… ज़िंदगी फिर से साँस लेने लगती है।”