भूल
Hindi

लोग अक्सर भूल जाते हैं, मैंने देखा है — तस्वीरों में ख़ुद को तलाशते, काग़ज़ पर क़लम से समय को बाँधते। यादों के समुंदर में तैर, बीते पलों को याद करते। भूल जाते हैं, आज को कल में, फिर तलाशते हैं, कल को आज में。 भुना जाते हैं जो बीत गया, वो वापस नहीं आएगा। भूल जाते हैं जो पास है, वो भी चला जाएगा। भूल जाते हैं — जो बीज लगाया था, अब वो पेड़ बन गया है। देख-देख वाट, अब फल भी सड़ गया है। बगीचे की घास अब पीली पड़ गई है। पेड़ों की पत्तियाँ भी झड़ गई हैं। सुबह जो निकली थी उजाले के साथ, अब अँधेरे में खो गई। घर वापस लौट जा, अब बहुत देर हो गई। कमाने निकला था ज़िंदगी बनाने को, तू जीना भूल गया, इतना तेज़ भागा कि तू ख़ुद को ही भूल गया।

“इंसान सब कुछ पा लेना चाहता है — पर इस चाह में जीना ही भूल जाता है। वक़्त को पकड़ने की कोशिश में, वो अपनी साँसें भी पीछे छोड़ देता है। शायद ठहरना ही सबसे बड़ी समझदारी है।”